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गोवंश के भरण-पोषण के लिए खर्च किए गए 380.61 करोड़ रुपए

राहुल यादव, लखनऊ: 02 जनवरी, 2019 को प्रदेश में निराश्रित गोवंश को संरक्षित किए जाने हेतु नीति प्रख्यापित की गयी थी। इस नीति के अनुपालन में समस्त जनपदों में निराश्रित गोवंश को गो आश्रय स्थलों में संरक्षित कर उनकी सुरक्षा एवं भरण-पोषण की कार्यवाही की जा रही है। गोवंश की सुरक्षा हेतु शेड का निर्माण कराया गया है। साथ ही, सुरक्षा खाई, पीने का पानी, प्रकाश, पशु चिकित्सा, हरा चारा उत्पादन आदि कार्य भी संपादित कराए जा रहे हैं।


यह जानकारी आज यहां देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश में कुल 5,146 गो-आश्रय स्थल स्थापित हैं।

इनमें 4,452 अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल, 148 कान्हा गोशाला, 402 कांजी हाउस एवं 144 वृहद गो-संरक्षण केन्द्र हैं।

यह गोवंश आश्रय स्थल प्रदेश के ग्रामीण व शहरी इलाकों में स्थापित किए गए हैं।

इन गो-आश्रय स्थलों में 5,19,816 गोवंश संरक्षित हैं।

गोवंश की पहचान हेतु उन्हें यू0आई0डी0 इयर टैग लगाया गया है।

गोवंश के भरण-पोषण हेतु विभिन्न गो-आश्रय स्थलों में 9.80 लाख कुन्तल भूसा एकत्र कर संरक्षित किया गया है।

अभी तक गोवंश के भरण-पोषण हेतु 380.61 करोड़ रुपए की धनराशि जिलाधिकारियों को उपलब्ध करायी गयी।

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मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के अन्तर्गत अब तक 32,242 इच्छुक कृषकों को 62,314 गोवंश सुपुर्दगी में देकर लाभान्वित किया गया है। साथ ही, राष्ट्रीय पोषण मिशन के अन्तर्गत 519 कुपोषित परिवारों को गोवंश आश्रय स्थलों से गोवंश उपलब्ध कराया गया है। गोवंश आश्रय स्थलों से सम्बन्धित इन योजनाओं के अन्तर्गत चिन्हित लाभार्थियों को प्रति गोवंश 30 रुपए प्रतिदिन अर्थात 900 रुपए प्रतिमाह गोवंश के भरण-पोषण हेतु अनुदान के रूप में लाभार्थी के बैंक खाते में हस्तांतरित किया जाता है। प्रदेश में अस्थायी गोवंश आश्रय स्थलों से पृथक निराश्रित गोवंश को स्थायी रूप से सरंक्षित किए जाने एवं आश्रय केन्द्रों को स्वावलम्बी बनाए जाने के उद्देश्य से प्रदेश में 1.20 करोड़ रुपए प्रति केन्द्र की दर से कुल स्वीकृत 187 वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों में से 109 का निर्माण पूर्ण कराकर क्रियाशील बनाया गया है।

शेष वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

बुन्देलखण्ड के 07 जनपदों में 30 लाख रुपए प्रति पशु आश्रय गृह की दर से 35 पशु-आश्रय गृह बनाये गए।

इन कुल 144 स्थायी गो-आश्रय स्थलों में 46,215 गोवंश को संरक्षित भी किया जा चुका है।

गोवंश आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाए जाने हेतु गोबर, गोमूत्र के विविध प्रयोग एवं अन्य कार्यक्रम के अन्तर्गत मनरेगा से गो-आश्रय स्थलों पर कुल 3,112 परियोजनाएं संचालित हैं, जिसके द्वारा 4,10,644 मानव दिवस का सृजन किया गया है।

1,019 गो-आश्रय स्थलों पर जैविक खाद तैयार की जा रही है।

आई0सी0यू0 बेड्स की संख्या निरन्तर बढ़ाने के निर्देश

आगामी शीत ऋतु में संरक्षित गोवंश को शीत से बचाव हेतु गो-आश्रय स्थलों पर उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं।

इस सम्बन्ध में समस्त जनपदों को समुचित निर्देश भी निर्गत किए गए हैं।

गोवंश के संरक्षण से जहां निराश्रित गोवंश को आश्रय प्राप्त हुआ, वहीं कृषकों को होने वाली फसल हानि से भी बचाव हो रहा है।

मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजनान्तर्गत गोवंश को सुपुर्दगी में दिए जाने से इच्छुक परिवारों के जीविकोपार्जन का मार्ग प्रशस्त हुआ।

कुपोषण से ग्रसित परिवारों को दुग्ध की उपलब्धता से कुपोषण से मुक्ति प्राप्त करने में सफलता मिलेगी।

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