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कथित पीएफआई से जुड़े शख्स को एसटीएफ ने लखनऊ से दबोचा, खुलासे सुन कर एसटीएफ के होश उड़े !


मनोज श्रीवास्तव/लखनऊ : कथित पीएफआई से जुड़े अब्दुल माजिद को यूपी एसटीएफ ने सोमवार को राजधानी लखनऊ के विभूतिखंड बस अड्डे से दबोचा। आरोपी के पास से इलेक्ट्रानिक गैजेट्स और पीएफआई और आईएसआईएस से जुड़ा आपत्तिजनक साहित्य बरामद हुआ है। वो शहर छोड़कर भागने की फिराक में था। माजिद मुस्लिम युवाओं को भड़का कर पीएफआई के नेटवर्क से जोड़ रहा था। माजिद लखनऊ के इंदिरा नगर से गिरफ्तार किए गए कथित पीएफआई नेता मोहम्मद वसीम का खासमखास बताया जा रहा है। फिलहाल माजिद से उसके साथियों के विषय में एसटीएफ पूछताछ कर रही है।
यूपी एसटीएफ के अधिकारियों के मुताबिक अब्दुल माजिद लखनऊ के काकोरी का रहने वाला है। पिछले साल उसे आतंक विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण एटीएस ने गिरफ्तार किया था। जमानत पर रिहा होने के बाद वह पीएफआई के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा था। गुरुवार की रात देश भर में हुई एनआईए की छापेमारी की माजिद को सूचना मिल गई थी। इसके बाद वह फरार हो गया था। एसटीएफ टीम को इसकी जानकारी मिली तो अब्दुल को विभूतिखंड इलाके से गिरफ्तार कर लिया गया। एसटीएफ को माजिद के पास से 3 मोबाइल फोन मिले हैं, जिसमें पीएफआई और आईएसआईएस से जुडे साहित्य बरामद हुये हैं। एसटीएफ के अनुसार, माजिद ने पूछताछ में कई बड़े खुलासे किये हैं। सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार हुआ माजिद पीएफआई के मिशन गजवा-ए-हिंद को पूरा करने के लिये ऐसे मुस्लिम युवाओं की तलाश करता था, जिन्हें आसानी से गुमराह किया जा सके। युवाओं को ढूंढने के लिये वह उन्नाव, हरदोई व बाराबंकी में हफ्तों-हफ्तों डेरा डालता था। मुस्लिम युवकों की तलाश खत्म होने पर वह अपने अन्य साथियों के हवाले कर देता था। माजिद ने एसटीएफ को बताया है कि यूपी में सक्रिय उसके ज्यादातर साथी देश के अन्य प्रांतों व नेपाल भाग गये हैं। वह भी नेपाल जाने के लिए बहराइच जा रहा था। यूपी एसटीएफ को माजिद ने एक दर्जन लोगों के नाम भी बताये हैं, जिनकी अब यूपी एसटीएफ तलाश कर रही है।

लखनऊ से अब तक पीएफआई के 2 सदस्यों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। गुरुवार को इन्दिरा नगर में रहने वाले वसीम अहमद को एनआईए ने गिरफ्तार किया था। वसीम दर्जी के काम की आड़ में पीएफआई के मिशन गजवा-ए-हिंद को पूरा करने के लिये लगा हुआ था। वहीं शनिवार को यूपी एसटीएफ ने मदेयगंज के मक्का गंज से अहमद बेग को गिरफ्तार किया था। बेग 2047 तक भारत को इस्लामिक स्टेट बनाने की मुहिम में लगा था। वह कट्टरता के पाठशाला चला कर मुस्लिम युवाओं को भारत के खिलाफ भड़का रहा था। वह खुद को मोटीवेशनल स्पीकर कहता है। यूपी एसटीएफ को जांच में पता चला है कि, अहमद बेग लखनऊ के कुछ और साथियों के साथ मिशन 2047 में लगा हुआ था, ऐसे में एसटीएफ अब अहमद बेग के साथियों और स्लीपर मॉड्यूल को ढूंढ रही है। एटीएस यूपी एटीएस ने मेरठ से 4 और वाराणसी से 2 पीएफआई सदस्यों को गिरफ्तार करने के बाद उसे पूछताछ कर रही है। एटीएस को पता चला है कि पीएफआई ने आतंकी संगठनों की ही तरह अपने स्लीपर मॉड्यूल देश भर में फैला कर रखे हैं। ये स्लीपेर मॉड्यूल प्रोफेसर से लेकर दर्जी तक के लोग हैं, जो अपने व्यवसाय की आड़ में भारत विरोधी गतिविधियों में लगे हुए हैं और किसी भी एजेंसी को उन पर शक भी नहीं होता है। यूपी एटीएस अब ऐसे स्लीपर मॉड्यूल की तलाश में जुट गई है।

पीएफआई नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान वर्ष 2019 में जिस पापुलर फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) की भूमिका पहली बार खुलकर सामने आई थी, उसकी जड़ें उत्तर प्रदेश में लगातार गहराती जा रही हैं। यूपी में यह संगठन लगभग 15 वर्षों से सक्रिय है और भीतर ही भीतर कट्टरपंथियों के साथ मिलकर युवाओं में जहर घोलने का काम कर रहा था। इससे पहले पोस्टर चस्पा कर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की साजिश करने वाले पीएफआई के हाथ टेरर फंडिंग से सने होने के तथ्य खुलकर सामने आ चुके हैं। हाथरस कांड के बाद उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश में पीएफआइ व उसकी स्टूडेंट विंग कैंपस फ्रंट आफ इंडिया (सीएफआई) के साथ ही कुछ अन्य सहयोगी संगठनों की भूमिका सामने आई थी। इसके बाद आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) व स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) दोनों को सक्रिय किया गया था। अब एनआईए के यूपी समेत अन्य राज्यों में पीएफआई के ठिकानों पर छापेमारी के बाद जांच के कदम एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं।

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